बधाई हो आप माँ बनने वाली हैं! यह चरण हर महिला के जीवन में एक बार आता है। मां बनकर हर महिला खुश होती है क्योंकि हर महिला की ख्वाहिश होती है कि कोई उसे अपनी मां कहे। वह चाहती हैं कि इन 9 महीनों के दौरान वह अपने गर्भ में पल रहे बच्चे की अच्छी तरह से देखभाल करें ताकि उसका बच्चा पूरी तरह से स्वस्थ पैदा हो। और ऐसे में कोई भी गलती बहुत भारी पड़ सकती है जिसे सोच कर उनके मन में कई सवाल आते हैं कि मैं क्या खाऊं जिससे मेरे बच्चे को पर्याप्त पोषक तत्व मिले और क्या परहेज करु जिससे मेरे बच्चे को कोई नुकसान न हो क्योंकि प्रेगनेंसी के दौरान सही खानपान बहुत मायने रखता है। कुछ ऐसे खाद्य पदार्थ हैं जिन्हें आपको अगले 9 महीनों के दौरान खाना बंद करना होगा और अपने आहार में पौष्टिक खाद्य पदार्थों को शामिल करना होगा । यह आपके बच्चे को अच्छी तरह से विकसित करने और किसी भी असामान्यता या गर्भपात को रोकने में मदद करेगा।ऐसे कई खाद्य पदार्थ हैं जो प्रेगनेंसी के दौरान फायदेमंद होंगे और प्रेगनेंसी के कुछ शुरुआती लक्षणों को रोकने में भी मदद करेंगे, खासकर मॉर्निंग सिकनेस और निश्चित रूप से, आप अगले 9 महीनों के दौरान ऐसी कई चीजें खाने के लिए ललचाएंगे, लेकिन सवाल यह है कौन सी लालसा आपके लिए अच्छी है और आपको किससे दूर रहना चाहिए।
10 चीजें जो आपको प्रेगनेंसी के दौरान नहीं खानी चाहिए:
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कच्चा मांस/ आधा पका हुआ
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कच्ची मछली
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कच्चा/आधा पका अंडा
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कच्चे अंकुरित
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बिना पाश्चुरीकृत दूध (Unpasteurized Milk)
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कैफीन / कैफीन युक्त पेय / भोजन
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शराब और धूम्रपान
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पैकेज्ड फूड/जंक फूड
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एलोवेरा जूस
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कच्चा पपीता
आइए इनके बारे में विस्तार से जानें…..
- कच्चा/ आधा पका हुआ मांस– प्रेगनेंसी के दौरान कच्चे मांस या अधपके मांस से बचना चाहिए क्योंकि इसमें पाए जाने वाले टोक्सोप्लाज्मोसिस परजीवी (Toxoplasmosis parasite) प्रेग्नेंट महिलाओं को संक्रमित कर सकते हैं, जिससे गर्भपात, मृत जन्म या विकासशील बच्चे (developing baby) के अंग को नुकसान होने का खतरा बढ़ जाता है।
इसलिए जब भी आप मांस खाने की योजना बनाएं तो अपने हाथ धोना सुनिश्चित करें, रसोई की सतह को साफ करें और कच्चे मांस को भी अच्छी तरह से साफ करें और इसे तब तक पकाएं जब तक यह बाहर और अंदर से अच्छी तरह पक न जाए।
- कच्ची मछली/ समुद्री भोजन ( or Fish with mercury)– बच्चे के विकास के लिए समुद्री भोजन में पाए जाने वाले महत्वपूर्ण पोषक तत्व जैसे प्रोटीन, आयरन, ओमेगा 3 और जिंक का अच्छा स्रोत होता है। लेकिन कई समुद्री भोजन हैं जैसे शार्क, शंख, झींगा, इन सभी में हाई मरकरी लेवल होता है, जो गर्भवती महिला के बच्चे के मस्तिष्क के विकास (brain development) और तंत्रिका तंत्र ( nervous system ) के लिए घातक हो सकता है ।
प्रेगनेंसी के 9 महीनों के दौरान आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली (immune sysyem) बहुत कम होती है क्योंकि आप एक बढ़ते बच्चे का समर्थन कर रही होती हैं, ऐसे में समुद्री भोजन खाने से आपको फूड पॉइज़निंग का खतरा बढ़ जाता है । अच्छी खबर यह है कि फूड प्वाइजनिंग आपके बच्चे को नुकसान नहीं पहुंचाएगा, लेकिन यह आपको अस्वस्थ महसूस कराएगा। उल्टी और दस्त फूड पॉइज़निंग के दो सामान्य लक्षण हैं और वे आपको निर्जलित (Dehydrated) कर देंगे और आपको आवश्यक पोषक तत्वों को अवशोषित (absorb) करने में असमर्थ बना देंगे। ऐसे में गर्भवती महिलाओं को कच्ची मछली और अधपकी मछली का सेवन नहीं करना चाहिए।
- कच्चा/आधा पका अंडा– कच्चे और अधपके अंडे में साल्मोनेला बैक्टीरिया होता है। यह प्रेग्नेंट मां और उसके बच्चे के लिए बेहद खतरनाक है, इसलिए गर्भावस्था के दौरान कच्चे अंडे न खाये ।अगर आप गर्भावस्था के दौरान अंडे खाना चाहती हैं, जिसे आपको खाना चाहिए क्योंकि यह प्रोटीन का अच्छा स्रोत है, तो आप इसका सेवन सफेद और पीले हिस्से के पूरी तरह से पक जाने के बाद ही करे । अधपके अंडे न खाएं।
रेस्टोरेंट्स या आइसक्रीम की दुकानों से आइसक्रीम, मायोनीज़ और मूस न खरीदें क्योंकि वे अक्सर कच्चे अंडे से बने होते हैं और उनमें बैक्टीरिया होते हैं जिससे आपको फ़ूड पोइसोनिंग भी हो सकता है।
- कच्चे अंकुरित- स्प्राउट्स में कई पोषक तत्व होते हैं। इनमें प्रोटीन की मात्रा बहुत अधिक होती है। इसमें विटामिन, मिनरल और फाइबर अच्छी मात्रा में होते हैं जो शरीर के लिए फायदेमंद होते हैं। लेकिन इन्हे प्रेगनेंसी के दौरान सुरक्षित नहीं माना जाता है, लिस्टेरिया, साल्मोनेला और ई. कोलाई जैसे बैक्टीरिया स्प्राउट्स की दरारों से अंदर चले जाते हैं। और एक बार जब वे बीज के अंदर चले जाते हैं, तो वे उसी नम और गर्म परिस्थितियों में उगते हैं जो स्प्राउट्स को बढ़ने की आवश्यकता होती है। इसलिए यह प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए बिल्कुल भी सुरक्षित नहीं है। लिस्टरियोसिस जैसे बैक्टीरिया से मृत जन्म, गर्भपात और समय से पहले जन्म की संभावना बढ़ जाती है। साल्मोनेला और ई. कोलाई से ऐसी बीमारी हो सकती है जो जानलेवा भी हो सकती है।
अगर आपको स्प्राउट्स खाने का बहुत शौक है तो आप इसे पूरी तरह से पकाकर ही खाएं ताकि इसके सारे बैक्टीरिया मर जाएं।
- कच्चा दूध (Unpasteurized Milk)- प्रेगनेंसी के दौरान कच्चा दूध पीना बहुत असुरक्षित होता है क्योंकि कच्चे दूध में लिस्टेरिया नामक बैक्टीरिया होता है जो गर्भपात, या बीमारी या नवजात शिशु की मृत्यु का कारण बन सकता है।
कुछ चीज़ और डेयरी उत्पाद हैं जो आपको गर्भावस्था के दौरान नहीं खाने चाहिए जैसे कि कच्चा दूध, दही, सॉफ्ट चीज़ और आइसक्रीम। सॉफ्ट चीज़ आमतौर पर बिना पाश्चुरीकृत दूध से बनाया जाता है, विशेष रूप से बकरी के दूध से। आइसक्रीम, जैसे मैकफ्लूरी, भी बिना पाश्चुरीकृत दूध से बनाई जाती है। इसलिए बिना पाश्चुरीकृत दूध से बने किसी भी डेयरी उत्पाद का सेवन न करें और अगर आप इसका सेवन करना चाहते हैं तो पहले लेबल की जांच करे या डॉक्टर से सलाह लें।
- कैफीन / कैफीन युक्त पेय / भोजन- सुबह की चाय/कॉफी सभी को पसंद होती है, लेकिन अब आपको इसकी मात्रा कम करनी होगी। कॉफी, चाय, ग्रीन टी, एनर्जी ड्रिंक, कोला और यहां तक कि चॉकलेट सहित कई पेय पदार्थों में कैफीन पाया जाता है। इसलिए ऐसी किसी भी चीज का सेवन करने से पहले यह सुनिश्चित कर लें कि आप उसका अधिक मात्रा में सेवन तो नहीं कर रहे हैं।
प्रेग्नेंट होने पर आप प्रतिदिन 200 मिलीग्राम कैफीन ले सकती हैं चाहे वह चाय, कॉफी या कुछ और हो। गर्भावस्था के दौरान कैफीन पीने के कई खतरे हैं जिनमें गर्भपात का जोखिम (miscarriage) या आपके बच्चे का जन्म कम जन्म दर (low birth rate) के साथ होना शामिल है, जो बाद में जीवन में कई स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है।
- शराब और धूम्रपान- शराब पीने से आपके बच्चे को गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। शराब के साथ समस्या यह है कि यह शिशु के लिए कितना खतरनाक है, इसका कोई निश्चित उत्तर नहीं है। अपनी पहली तिमाही के दौरान इसका सेवन न करें क्योंकि बच्चे का अधिकांश विकास इसी दौरान हो रहा होता है।
जब आप प्रेगनेंसी के दौरान शराब पीती हैं, तो शरीर में अल्कोहल जल्दी से प्लेसेंटा (placenta) और गर्भनाल (umbilical cord) से आपके बच्चे तक पहुंच जाता है। प्लेसेंटा गर्भाशय में बढ़ता है और गर्भनाल के माध्यम से बच्चे को भोजन और ऑक्सीजन की आपूर्ति करता है। शराब पीने से आपके बच्चे के विकासशील मस्तिष्क (brain) और अन्य अंगों को नुकसान हो सकता है।
प्रेगनेंसी के दौरान शराब पीने से आपके बच्चे को समय से पहले जन्म दोष जैसे हृदय दोष (heart defect), सुनने (hearing) की समस्या या दृष्टि समस्या (vision), जन्म के समय कम वजन, गर्भपात, मृत जन्म और भ्रूण अल्कोहल स्पेक्ट्रम विकार (FASDs) जैसी समस्याएं होने की संभावना बढ़ जाती है।
एफएएसडी बौद्धिक और विकास (intellectual and developmental disabilities) संबंधी अक्षमताओं जैसे सीखने (learning), संवाद करने (communication), शारीरिक विकास (physical development) में देरी और यह जीवन भर चलने में बाधा उत्पन्न कर सकते हैं।
धूम्रपान भी शरीर के लिए अच्छा नहीं है। यह सांस लेने में कठिनाई और फेफड़ों के कैंसर सहित कई समस्याओं से जुड़ा हुआ है। यह जन्म की समस्याओं की संख्या से भी जुड़ा हुआ है, जिसमें जन्म के समय कम वजन भी शामिल है। इससे गर्भावस्था के दौरान कैफीन होने जैसी ही समस्या होती है।
- जंक फूड- जंक फूड एक बेहतरीन स्नैक है जैसे बर्गर, पिज्जा आदि लेकिन यह कचरा खाने जितना ही हानिकारक है। हालांकि जंक फूड की सही परिभाषा एक ऐसा भोजन है जो हमारे शरीर को कुछ भी नहीं देता, इन खाद्य पदार्थों में अधिक नमक होता है जैसे चीज़ , मेयोनिज आदि। गर्भावस्था के दौरान बहुत अधिक नमक शरीर में जल प्रतिधारण (water retention) का कारण बन सकता है, जिससे हाथ और पैर सूज जाते हैं। इससे गर्भावस्था में उच्च रक्तचाप (High BP) भी हो सकता है।
इनमे फाइबर नहीं होता है जिसके कारण प्रेगनेंसी के दौरान असहज मल त्याग (bowel movement) हो सकता है। मल त्याग पर दबाव डालने से भ्रूण की थैली (fetal bag) भी फट सकती है। इसके अलावा इनमें शुगर की मात्रा अधिक होती है, जैसे पैकेज्ड जूस, आइसक्रीम आदि।अतिरिक्त शुगर गर्भावधि मधुमेह (gestational diabities) का कारण बन सकती है और बच्चे के स्वस्थ विकास में भी बाधा उत्पन्न कर सकती है।
- एलोवेरा जूस– एलोवेरा का रस प्रेग्नेंट महिलाओं और उसके बच्चे के लिए फायदेमंद नहीं है क्योंकि यह गर्भाशय के संकुचन (uterine contraction) को बढ़ाता है और यह रक्त शर्करा (blood glucose) के स्तर को कम करता है। इससे गर्भवती महिला को चक्कर आ सकता है और संतुलन खोने कीसंभावना भी बढ़ सकती है। कई बार कच्चे एलोवेरा के सेवन से पेट में ऐंठन और दस्त हो जाते हैं। इसलिए एलोवेरा का उपयोग करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह जरूर ले।
- कच्चा पपीता– कच्चे पपीते में लेटेक्स नामक घटक की मात्रा अधिक होती है, जो प्रेग्नेंट महिला में गर्भाशय के शुरुआती संकुचन (early uterine contraction) और गर्भपात (miscarriage) का कारण बन सकती है इसके अतिरिक्त इसमें पपेन (papain) नामक एक घटक भी होता है जो प्रारंभिक प्रसव (early labour) का कारण बन सकता है।